मिट्टी की कठोरता का फसल उत्पादन पर प्रभाव

किसानों के लिए उत्पादन में कमी का सामना करना एक सामान्य समस्या है, जिसका एक कारण मिट्टी की कठोरता भी होती है। मिट्टी की कठोरता का मतलब होता है कि वह पानी, हवा और पोषक तत्वों को सही ढंग से नहीं रख पाती, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है और फसलों का उत्पादन कम होता है।

कठोर मिट्टी मे फसल
कठोर मिट्टी मे फसल

जिसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

खेती की भारी मशीनरी
खेती की भारी मशीनरी

  • भारी मशीनरी का उपयोग: किसान अपने खेतों में बड़ी मशीनों का उपयोग करते हैं ताकि उन्हें किसानी के कामों को आसानी से कर सकें। लेकिन जब ये मशीनें भूमि पर चलती हैं, तो वे भूमि को दबा देती हैं। इससे भूमि की कड़ाई हो जाती है और वह कठोर हो जाती है। ऐसा होने से पौधों के लिए नीचे जाने की जगह कम हो जाती है और वे सही ढंग से पोषण नहीं पा सकते।
  • अधिक खेती का प्रभाव: कुछ किसान अधिक खेती करने के लिए बार-बार खेती करते हैं, जो मिट्टी की कठोरता बढ़ाता है।
  • अधिक उपयुक्त कीटनाशक और उर्वरक का प्रयोग: कई बार किसान अधिक मात्रा में कीटनाशक और उर्वरक का प्रयोग करते हैं जो मिट्टी को कठोर बनाता है।
  • पशुओं का चलना: खेतों में पशुओं का बार-बार चलना भी उन्हें कठोर बना देता है। पशुओं की पैरों से भूमि में दबाव पड़ता है, जिससे उसकी कठोरता बढ़ जाती है। 
  • अधिक या कम बारिश: अगर किसान अपने खेतों में उपयुक्त मात्रा में पानी नहीं पहुंचाता, तो भूमि सूख जाती है और कठोर हो जाती है। वहां भूमि में पानी की कमी होने से पौधों के लिए आवश्यक पोषण के साथ-साथ मिट्टी कठोर होती है। विपरीत, अधिक बारिश से भूमि में ज्यादा पानी भर जाता है, जिससे वह गीली हो जाती है और कठोर हो जाती है। 

अब जब मिट्टी कठोर हो जाती है, तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकती है जो कृषि और पौधों के लिए अनुकूल नहीं होती हैं। 

जिनमें प्रमुख है:

  • जड़ प्रवेश: मिट्टी की कठोरता से निर्मित तंग परतपौधों के लिए जड़ प्रवेश को कठिन बना सकती है। इसका परिणाम है कि पौधे अपनी जड़ें नहीं बिछा पाते, जिससे वे पानी और पोषक तत्वों को अच्छी तरह से अवशोषित नहीं कर पाते। यह फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है और उत्पादकता को कम कर सकता है।
  • पानी का प्रवाह: जब मिट्टी कड़ी होती है, तो पानी का सही ढंग से बहना और अच्छे से जल अवशोषण करना मुश्किल हो जाता है। इससे अनचाहे पानी का जमाव और मिट्टी में पानी की सही रखवाली की समस्याएं हो सकती हैं, जो फसलों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। कई बार, पानी के संचयन क्षेत्रों में अत्यधिक जल इकट्ठा होने का खतरा भी होता है, जो फसलों के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • वायु का प्रवाह: कड़ी मिट्टी वायु के प्रवाह को रोक सकती है, जो जड़ वाले सूक्ष्मजीवों के लिए आवश्यक है। अच्छा वायुप्रवाहन न होने से क्षेत्र में सूक्ष्मजीवों और माइक्रोबियल गतिविधि पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जो मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
  • फसल विकास: कठोर मिट्टी में बीजों का अंकुरण और पौधों को लगना मुश्किल हो सकता है। इससे पौधों की बराबर वृद्धि प्रभावित हो सकती है और अपर्याप्त विकास के कारण फसल की उत्पादकता कम हो सकती है।
  •  खेती की मुश्किलता: खेती के लिए मिट्टी को तैयार करने में कठिनाई होती है, जिससे अधिक श्रम और समय की आवश्यकता होती है। कड़ी मिट्टी को खोदने में अधिक ऊर्जा और श्रम की आवश्यकता होती है, जो खेती की लागत बढ़ा सकती है और किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकती है।
  • पोषण की कमी: कठोर मिट्टी में पोषण तत्वों की आपूर्ति में भी कमी होती है। इससे पौधों को ज़रूरी पोषण तत्व जैसे कि नाइट्रोजन, पोटैशियम, और फॉस्फेट की कमी हो सकती है।
  • समय और ऊर्जा का अपव्यय: कठोर मिट्टी में पौधों को पोषण और पानी की आपूर्ति के लिए अधिक समय और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह खेती के लिए अतिरिक्त समय और ऊर्जा का अपव्यय कर सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त व्यय और कम लाभ हो सकता है।

इन समस्याओं का सामना करने के लिए, किसानों को मिट्टी की कठोरता को कम करने के लिए कुछ कार्रवाई लेनी चाहिए। इसमें सही खेती तकनीकी, उपयुक्त खाद और जल व्यवस्था, स्वच्छता शामिल हो सकती है।

उपयुक्त समस्या का समाधान कुछ तरीकों से किया जा सकता है:

  • कठोरता रहित मिट्टी
    कठोरता रहित मिट्टी
    हल्के उपकरणों का प्रयोग: किसानों के लिए अब कई नवीनतम और उन्नत उपकरण उपलब्ध हैं जो उन्हें खेती के कार्यों को सरल बनाते हैं। इनमें कुछ हल्के उपकरण भी शामिल हैं, जैसे ब्रशकटर और मिनी ट्रैक्टर, जो मिट्टी को कम दबाव में रखता है। साथ ही, नमी वाली मिट्टी में भारी उपकरण का उपयोग करने से बचा जा सकता है, जैसे गन्ना कटाई मशीन आदि। इससे किसान मिट्टी पर प्रभाव को कम कर सकते हैं, जो कठिनाई का कारण बन सकता है।
  • स्थायी और सरल तकनीक: खेती के लिए एक स्थिर तकनीक उपलब्ध है, जो किसानों को हर काम को सुगम बनाती है। इसमें सीधे बीज बोना, स्थानीय नलियों का उपयोग, और गाइडेड ड्राइव सिस्टम्स शामिल हैं। 
  •  उपयुक्त खाद और जैविक खेती: उपयुक्त खाद और जैविक खेती की प्रणालियों का प्रयोग करके, किसान मिट्टी को संतुलित कर सकते हैं और उसमें जीवाणुओं, जैव तत्वों, और पोषक तत्वों को वापस ला सकते हैं।
  •  फसलो के बीच उचित अंतर: भूमि को सही ढंग से आराम मिलने के लिए, पौधों के बीच में उचित अंतर होना महत्वपूर्ण है। यह माइक्रो जैविक गतिविधियों को बढ़ाता है जो मिट्टी का घूमाव और हवा संचार को बढ़ावा देता है।
  •  मिट्टी संरचना का मूल्यांकन: किसानों को नियमित अंतराल पर मिट्टी की संरचना की गहराई का मूल्यांकन करना चाहिए ताकि वे उसमें जरूरी सुधार कर सकें।

इन सुझावों का पालन करने से, किसान मिट्टी के कड़ाई को कम करने और अधिक उपजाऊ खेती करने के लिए सद्यः समर्थ हो सकते हैं।


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