ईंधन आज हर देश की रीढ़ की हड्डी है, जिसकी कमी से देश की अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव आते हैं। प्रत्येक भू-ईंधन की निकासी की सीमा होती है, इस स्थिति को देखते हुए पुनर्चक्रण योग्य और उत्पादक ऊर्जा का उपयोग करने के लिए नई तकनीक का आविष्कार किया जा रहा है।
जहॉ परमाणु ऊर्जा, पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा अक्षय(renewable) और पुनर्चक्रण(recycling) योग्य ऊर्जा हैं। लेकिन ऊर्जा के स्रोत मे गाय का गोबर, रतनजोत, गन्ना, फसल अपशिष्ट आदि भी जोङ सकते हैं। जो कृषि क्षेत्र द्वारा आसानी से उपलब्ध हैं।
आज आप जानोगे कि ईंधन बनाने के लिए किस तकनीक का उपयोग किया जाता है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है।
1. गोबर:- इसका उपयोग बायोगैस टैंक द्वारा मीथेन गैस बनाने के लिए किया जा सकता है। इस मीथेन गैस का उपयोग सीधे जलने के लिए या डीजल इंजन में 10 से 30% डीजल के साथ किया जाता है। आजकल बाजार में मीथेन गैस का इंजन भी उपलब्ध है। "बायोगैस से बिजली कैसे बनायें?" अधिक जानने के लिए हमारे लेख पर जाएं।
2. रतनजोत:- इस पौधे के बीज से तेल उसी तरह निकाला जाता है जैसे अन्य तेल निष्कर्षण। लेकिन कुछ रासायनिक प्रतिक्रिया तेल को ज्वलनशील बना देती है।
जिसमे मेथनॉल और इथेनॉल का उपयोग उत्प्रेरक की उपस्थिति में किया जाता है जो आमतौर पर सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) या कास्टिक सोडा और पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) होते हैं, जो मिथाइल या एथिल एस्टर बनाते हैं जिन्हें आमतौर पर बायोडीजल के रूप में जाना जाता है। इस तेल का उपयोग मिट्टी के तेल, LPG, डीजल आदि के विकल्प के रूप में भी किया जाता है।
3. गन्ना:- इस प्रक्रिया में ईंधन बनाने के लिये गन्ने के डंठल को कुचल दिया जाता है जिससे प्राप्त रस को एकत्र करके एक किण्वन टैंक में ले जाया जाता है जहाँ इथेनॉल उत्पन्न करने के लिए खमीर किण्वन(yeast fermentation) प्रतिक्रिया होती है। कुछ समय बाद किण्वन प्रक्रिया से इथेनॉल प्राप्त हो जाता है।
आज भारत सरकार ईंधन की लागत कम करने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के उद्देश्य से पेट्रोलियम ईंधन में इथेनॉल मिला रही है और गन्ना इथेनॉल का सबसे अच्छा स्रोत है।
4. फसल अपशिष्ट:- कृषि क्षेत्र मे पशु और फसल का कचरा सस्ता और अधिक मात्रा में उपलब्ध है। जिसका उपयोग compressor machine द्वारा ईंधन केक बनाने के लिए किया जा सकता है। जो जलने के उद्देश्य के लिए अच्छा है।
ऊपर के कृषि उत्पादों और कुछ अन्य उत्पादों का उपयोग जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हमें ऐसी तकनीक मिलेगी जो कम पैसे में 100% ऊर्जा निकालेगी और किसी तरह पर्यावरण को प्रभावित नहीं करेगी।
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